अब खेती की ज़मीन बेचने पर लगेगा 20% टैक्स, जानिए 2 नए नियम जो आपकी जेब पर डालेंगे असर – Income Tax Update

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भारत में कृषि भूमि की बिक्री से जुड़े टैक्स नियमों को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम रहता है। कुछ लोग मानते हैं कि खेती की ज़मीन बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता, जबकि यह सच केवल ग्रामीण क्षेत्र की भूमि के लिए ही लागू होता है।

शहरी इलाकों की कृषि भूमि की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स लग सकता है, जिसके नियम इनकम टैक्स एक्ट की धारा 54B और 10(37) में बताए गए हैं। इस लेख में हम आपको कृषि भूमि बेचने के टैक्स नियमों की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें टैक्स छूट, TDS नियम और नई 2025 टैक्स बिल के प्रभाव शामिल हैं।

कृषि भूमि की बिक्री पर टैक्स का निर्धारण ज़मीन की लोकेशन और होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है। ग्रामीण क्षेत्र की भूमि को कैपिटल एसेट नहीं माना जाता, इसलिए इसकी बिक्री से होने वाला लाभ पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है।

वहीं, शहरी कृषि भूमि को कैपिटल एसेट माना जाता है, जिस पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के तहत 20% टैक्स लग सकता है। हालांकि, धारा 54B के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आप बिक्री की राशि को दूसरी कृषि भूमि खरीदने में निवेश कर सकते हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं।

Tax Rules On Selling Agricultural Land

पैरामीटरविवरण
भूमि का प्रकारग्रामीण (रूरल) या शहरी (अर्बन)
होल्डिंग पीरियड24 महीने से कम (शॉर्ट-टर्म) या 24 महीने से अधिक (लॉन्ग-टर्म)
टैक्स दरLTCG: 20% (इंडेक्सेशन के साथ), STCG: स्लैब रेट
छूट के नियमधारा 54B: नई कृषि भूमि खरीदने पर पूरी/आंशिक छूट
TDSशहरी भूमि पर 1% TDS (₹50 लाख से अधिक ट्रांजैक्शन), ग्रामीण पर नहीं
नया टैक्स बिल 2025कृषि आय पर सख्त डॉक्यूमेंटेशन, प्रोसेसिंग आय पर टैक्स
कैश लेनदेन सीमा₹2 लाख से अधिक नहीं (धारा 269ST)
बिक्री का उद्देश्यनिवेश के लिए या बिज़नेस (स्टॉक-इन-ट्रेड)

ग्रामीण कृषि भूमि पर टैक्स

  • कैपिटल एसेट नहीं: ग्रामीण क्षेत्र की भूमि को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 2(14) के तहत कैपिटल एसेट नहीं माना जाता।
  • पूर्ण छूट: बिक्री से होने वाला लाभ पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है, चाहे होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो।
  • डॉक्यूमेंटेशन: ITR में शेड्यूल-EI में इस आय को “एग्रीकल्चरल इनकम” के रूप में दिखाना होगा।

शहरी कृषि भूमि पर टैक्स

  • कैपिटल एसेट: शहरी क्षेत्र की भूमि की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स लागू।
  • टैक्स दर:
    • लॉन्ग-टर्म (24+ महीने): 20% (इंडेक्सेशन के साथ) या 12.5% (बिना इंडेक्सेशन, 23 जुलाई 2024 के बाद)।
    • शॉर्ट-टर्म (<24 महीने): स्लैब रेट के अनुसार।
  • छूट का विकल्प:
    • धारा 54B: बिक्री के 2 साल के अंदर नई कृषि भूमि खरीदने पर पूरी रकम पर छूट।
    • धारा 54EC: 6 महीने के अंदर बॉन्ड्स में निवेश करने पर ₹50 लाख तक छूट।

नए टैक्स बिल 2025 के प्रभाव

  • कृषि आय की परिभाषा:
    • कृषि प्रोसेसिंग: उत्पाद को बाजार के लिए तैयार करने से आगे की प्रोसेसिंग आय अब टैक्सेबल।
    • डेयरी, मुर्गीपालन: इन्हें अब नॉन-एग्रीकल्चरल इनकम माना जाएगा।
  • डॉक्यूमेंटेशन: कृषि आय दिखाने के लिए जमीन के दस्तावेज, उत्पादन रिकॉर्ड अनिवार्य।

TDS और कैश लेनदेन नियम

  • TDS:
    • शहरी भूमि: ₹50 लाख से अधिक ट्रांजैक्शन पर 1% TDS, लेकिन धारा 194IA के तहत कृषि भूमि को छूट।
    • ग्रामीण भूमि: कोई TDS नहीं।
  • कैश लेनदेन:
    • धारा 269ST: एक लेनदेन में ₹2 लाख से अधिक नकद लेना-देना प्रतिबंधित, जुर्माना 100%।

कृषि भूमि बेचने पर टैक्स बचाने के तरीके

  1. धारा 54B का लाभ: बिक्री के 2 साल के अंदर नई कृषि भूमि खरीदें।
  2. इंडेक्सेशन: पुरानी भूमि की खरीद कीमत को महंगाई के अनुसार बढ़ाकर टैक्स कम करें।
  3. कृषि आय दिखाएं: ITR में शेड्यूल-EI में कृषि आय डिक्लेयर करें।
  4. लॉन्ग-टर्म होल्डिंग: 24 महीने से अधिक समय तक भूमि रखें ताकि LTCG दर लागू हो

कृषि भूमि बेचने पर टैक्स कैलकुलेशन उदाहरण

मान लीजिए आपने 2015 में शहरी कृषि भूमि ₹20 लाख में खरीदी और 2025 में ₹1 करोड़ में बेची। होल्डिंग पीरियड 10 साल (लॉन्ग-टर्म) है।

  • इंडेक्स्ड कॉस्ट: 20 लाख × (2025 का कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स / 2015 का इंडेक्स) = 20 लाख × (348/254) ≈ ₹27.4 लाख
  • कैपिटल गेन: 1 करोड़ – 27.4 लाख = ₹72.6 लाख
  • टैक्स: 72.6 लाख × 20% = ₹14.52 लाख
  • धारा 54B के तहत छूट: अगर आप ₹1 करोड़ में नई कृषि भूमि खरीदते हैं, तो पूरी ₹72.6 लाख टैक्स-फ्री।

कृषि भूमि बेचने की प्रक्रिया

  1. दस्तावेज तैयार करें: ज़मीन का 7/12 उतरा, खतौनी, रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट।
  2. TDS कटौती: अगर खरीदार ₹50 लाख से अधिक नकद देता है, तो 1% TDS काटें (शहरी भूमि पर लागू)।
  3. कैपिटल गेन रिपोर्ट: CA से इंडेक्सेशन कैलकुलेशन करवाएं।
  4. ITR भरें: बिक्री के साल में ITR-2 में शेड्यूल-CG भरें।
  5. छूट का दावा: नई ज़मीन खरीदने पर धारा 54B का फॉर्म भरें।

निष्कर्ष

कृषि भूमि की बिक्री पर टैक्स ज़मीन की लोकेशन और होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है। ग्रामीण भूमि बेचने पर कोई टैक्स नहीं, जबकि शहरी भूमि पर 20% LTCG लागू हो सकता है

धारा 54B का लाभ लेने के लिए बिक्री की राशि को 2 साल के अंदर नई कृषि भूमि में निवेश करें। साथ ही, नए टैक्स बिल 2025 के तहत कृषि प्रोसेसिंग आय को टैक्सेबल बनाने के प्रावधानों पर ध्यान दें।

Disclaimer: कृषि भूमि की बिक्री पर टैक्स नियम इनकम टैक्स एक्ट, 1961 और नए बजट प्रावधानों पर आधारित हैं। यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है, व्यक्तिगत मामलों में CA या टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लें।

ग्रामीण/शहरी भूमि का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा तय मास्टर प्लान के अनुसार होता है, जिसकी जानकारी तहसीलदार कार्यालय से प्राप्त करें।

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