भारत में हाईवे टोल सिस्टम को लेकर जल्द ही बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब तक टोल प्लाजा पर लंबी कतारें, फास्टैग की तकनीकी समस्याएं और समय की बर्बादी आम बात थी। लेकिन सरकार ने अब देशभर में एक नई तकनीक आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने का फैसला किया है।
इस नई व्यवस्था से न सिर्फ सफर आसान होगा, बल्कि टोल भुगतान भी पारदर्शी और सटीक तरीके से होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में बताया कि यह नई नीति मई 2025 से लागू की जाएगी, जिससे यात्रियों को टोल टैक्स में भी राहत मिलेगी और उन्हें टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा।
नई टोल नीति के तहत अब टोल प्लाजा पूरी तरह से हटाए नहीं जाएंगे, बल्कि उनकी जगह पर नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी, टोल प्लाजा की जगह अब सैटेलाइट और डिजिटल सिस्टम से टोल वसूली होगी।
इससे टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें, ट्रैफिक जाम और समय की बर्बादी से छुटकारा मिलेगा। साथ ही, टोल चार्जेस में भी 50% तक की कमी आ सकती है, जिससे आम जनता को सीधा फायदा होगा।
New Toll System 2025
फीचर/पैरामीटर | विवरण/जानकारी |
सिस्टम का नाम | GNSS आधारित टोलिंग (GPS Toll System) |
कब से लागू होगा | 1 मई 2025 (प्रारंभिक चरण) |
पुराने सिस्टम की जगह | FASTag, टोल प्लाजा |
भुगतान का तरीका | बैंक अकाउंट/वॉलेट से ऑटोमैटिक कटौती |
टोल वसूली का आधार | प्रति किलोमीटर यात्रा |
शुरुआती कवर | 2000 किलोमीटर हाईवे (अप्रैल-जून 2025) |
मुफ्त यात्रा | 20 किलोमीटर तक की यात्रा निःशुल्क |
वार्षिक पास | ₹3000 में पूरे साल के लिए |
लाइफटाइम पास | पहले था, अब बंद |
तकनीकी फीचर | OBU डिवाइस, ANPR सिस्टम, GIS ट्रैकिंग |
ट्रायल रूट | दिल्ली-जयपुर हाईवे |
पारदर्शिता | ट्रैफिक और टोल की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग |
फायदा | समय, ईंधन, और पैसे की बचत; जाम से राहत |
नई टोल प्रणाली (GNSS Toll System) की पूरी जानकारी
GNSS आधारित टोलिंग सिस्टम एक अत्याधुनिक सैटेलाइट तकनीक पर आधारित है। इसमें हर वाहन में एक खास डिवाइस (OBU) लगाई जाएगी, जो वाहन की लोकेशन और मूवमेंट को ट्रैक करेगी। जैसे ही वाहन हाईवे पर चलेगा, सिस्टम उसकी यात्रा की दूरी मापेगा और उसी हिसाब से टोल कटेगा।
- ऑटोमैटिक टोल कटौती: अब आपको टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा। जैसे ही आप हाईवे पर चलेंगे, टोल अपने आप कट जाएगा।
- प्रति किलोमीटर चार्ज: अब टोल फिक्स नहीं होगा, बल्कि जितना हाईवे पर चलेंगे, उतना ही टोल देना होगा।
- 20 किलोमीटर तक फ्री: छोटी दूरी की यात्रा (20 किमी तक) के लिए कोई टोल नहीं लगेगा।
- वार्षिक पास: ₹3000 में पूरे साल के लिए टोल फ्री यात्रा का विकल्प मिलेगा।
- ट्रायल रूट: सबसे पहले दिल्ली-जयपुर हाईवे पर यह सिस्टम लागू होगा, फिर देशभर में लागू किया जाएगा।
- ANPR और GIS तकनीक: ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) और जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) से ट्रैफिक और टोल की मॉनिटरिंग होगी।
नई टोल प्रणाली के फायदे
- समय की बचत: टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं, सफर और भी तेज और आसान।
- ईंधन की बचत: बार-बार रुकने से बचाव, जिससे ईंधन की खपत कम होगी।
- पारदर्शिता: जितना हाईवे इस्तेमाल, उतना ही टोल; मनमानी वसूली पर रोक।
- कम टोल चार्ज: अनुमानित 50% तक टोल में राहत।
- डिजिटल पेमेंट: सारा पेमेंट ऑटोमैटिक और डिजिटल, कैश की झंझट नहीं।
- जाम से राहत: टोल प्लाजा पर लंबी कतारें नहीं लगेंगी।
- सुविधा: वार्षिक पास से पूरे साल बिना चिंता के यात्रा।
नई टोल प्रणाली के नुकसान और चुनौतियां
- तकनीकी दिक्कतें: OBU डिवाइस और सैटेलाइट सिस्टम में गड़बड़ी की संभावना।
- शुरुआती खर्च: हर वाहन में OBU डिवाइस लगवाना जरूरी, जिससे शुरुआती खर्च बढ़ सकता है।
- डिजिटल साक्षरता: ग्रामीण इलाकों में डिजिटल पेमेंट और तकनीक अपनाने में दिक्कत।
- डेटा प्राइवेसी: वाहन की लोकेशन ट्रैकिंग से प्राइवेसी की चिंता।
- सिस्टम ट्रांजिशन: पुराने फास्टैग और टोल प्लाजा से नए सिस्टम पर शिफ्ट होने में समय लगेगा।
नई टोल नीति में क्या-क्या बदलाव होंगे?
- फास्टैग सिस्टम खत्म: अब फास्टैग की जगह GNSS आधारित सिस्टम से टोल कटेगा।
- टोल प्लाजा हटना: धीरे-धीरे टोल प्लाजा हटाए जाएंगे, लेकिन शुरुआत में कुछ जगहों पर रहेंगे।
- ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR): पूरे देश में यह सिस्टम लागू होगा, जिससे बिना फिजिकल बैरियर के टोल वसूली होगी।
- GIS सॉफ्टवेयर: 100 टोल प्लाजा पर GIS आधारित सॉफ्टवेयर से ट्रैफिक मॉनिटरिंग शुरू हो चुकी है।
- ‘Pay As You Drive’ मॉडल: अब जितना हाईवे इस्तेमाल, उतना ही टोल देना होगा।
नई टोल प्रणाली कैसे काम करेगी?
- हर वाहन में OBU डिवाइस या GPS ट्रैकर लगेगा।
- वाहन जैसे ही हाईवे पर एंट्री करेगा, सिस्टम उसकी लोकेशन ट्रैक करेगा।
- वाहन जितनी दूरी तय करेगा, उतना टोल अपने आप कट जाएगा।
- टोल की राशि सीधे बैंक अकाउंट या वॉलेट से ऑटोमैटिक कटेगी।
- 20 किलोमीटर तक की यात्रा फ्री होगी।
- वार्षिक पास लेने पर पूरे साल टोल की चिंता नहीं।
नई टोल प्रणाली का भविष्य
सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ सालों में पूरे देश के हाईवे और एक्सप्रेसवे पर यह GNSS आधारित टोलिंग सिस्टम लागू हो जाए। इससे भारत का टोल कलेक्शन सिस्टम दुनिया के सबसे आधुनिक सिस्टम्स में शामिल हो जाएगा।
भविष्य में इस सिस्टम को और भी स्मार्ट बनाया जाएगा, जैसे—डायनामिक टोलिंग, रीयल टाइम ट्रैफिक मैनेजमेंट, और स्मार्ट ट्रैफिक कंट्रोल।
नई टोल प्रणाली से आम जनता को क्या फायदा?
- टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं, सफर और भी आसान।
- टोल में सीधी राहत, पैसे की बचत।
- ट्रैफिक जाम और समय की बर्बादी से छुटकारा।
- पारदर्शिता और डिजिटल पेमेंट से मनमानी वसूली पर रोक।
- वार्षिक पास से पूरे साल टोल फ्री यात्रा।
निष्कर्ष
नई टोल प्रणाली भारत के हाईवे सफर को पूरी तरह बदलने जा रही है। अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं, फास्टैग की झंझट नहीं, और मनमानी वसूली से भी छुटकारा मिलेगा।
GNSS आधारित सिस्टम से टोल वसूली पूरी तरह डिजिटल, पारदर्शी और सटीक होगी। इससे न सिर्फ सफर आसान होगा, बल्कि पैसे, समय और ईंधन की भी बचत होगी।
हालांकि, शुरुआती दौर में तकनीकी दिक्कतें और ट्रांजिशन की चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन भविष्य में यह सिस्टम भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध मीडिया रिपोर्ट्स, सरकारी घोषणाओं और हालिया अपडेट्स पर आधारित है। नई टोल प्रणाली (GNSS आधारित टोलिंग) पर सरकार ने आधिकारिक घोषणा कर दी है और मई 2025 से इसे लागू करने की योजना है।
हालांकि, शुरुआत में टोल प्लाजा पूरी तरह नहीं हटाए जाएंगे, बल्कि धीरे-धीरे GNSS सिस्टम के बढ़ने के साथ हटाए जाएंगे। यानी, खबर पूरी तरह सच है, लेकिन यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। कुछ समय तक पुराने टोल प्लाजा और नया सिस्टम साथ-साथ चल सकते हैं। भविष्य में यह व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी।