पिछले एक दशक में भारतीय बैंकों ने लगभग 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाल दिए हैं।
यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2015 से 2024 के बीच का है और इसमें से अधिकांश राशि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) द्वारा माफ की गई है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किस बैंक ने सबसे ज्यादा ऋण बट्टे खाते में डाला, इसके पीछे के कारण और इससे संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े।
मुख्य जानकारी: बैंकों द्वारा माफ किए गए ऋण
- कुल माफ किए गए ऋण: 12.3 लाख करोड़ रुपये
- समय अवधि: वित्त वर्ष 2015 से 2024
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का योगदान: 53% (6.5 लाख करोड़ रुपये)
- सबसे ज्यादा माफ किया गया बैंक: भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
बैंकों की स्थिति
बैंकों की यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे बड़े उद्योगपति जैसे अनिल अंबानी और अन्य ने अपने ऋण चुकाने में असफलता दिखाई है, जिससे बैंकों पर वित्तीय दबाव बढ़ा है। सरकारी बैंकों ने पिछले पांच वर्षों में अधिकतम राशि को बट्टे खाते में डाला है।
बैंकों द्वारा माफ किए गए ऋण का विवरण
बैंक का नाम | माफ किया गया ऋण (लाख करोड़ रुपये) |
---|---|
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) | 2,00,000 |
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) | 94,702 |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 50,000 |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 40,000 |
बैंक ऑफ इंडिया | 35,000 |
अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक | 1,00,000 |
SBI का प्रमुख स्थान
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सबसे अधिक 2 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है। यह भारत के बैंकिंग क्षेत्र में लगभग 20% हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का स्थान आता है, जिसने 94,702 करोड़ रुपये के लोन को माफ किया।
ऋण माफी की प्रक्रिया
ऋण को बट्टे खाते में डालने की प्रक्रिया एक निर्धारित समयावधि के बाद होती है। सामान्यतः चार वर्षों के बाद यदि कोई उधारकर्ता अपने ऋण का भुगतान नहीं करता है तो उसे बट्टे खाते में डाल दिया जाता है।
इसका मतलब यह नहीं है कि उधारकर्ता की देनदारी समाप्त हो जाती है; बल्कि बैंक वसूली की कार्रवाई जारी रखते हैं।
वित्तीय वर्ष 2024 की स्थिति
वित्त वर्ष 2024 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक 1.41 लाख करोड़ रुपये का सबसे अधिक शुद्ध लाभ दर्ज किया है। इस अवधि में सकल एनपीए अनुपात घटकर 3.12% हो गया है। यह दर्शाता है कि सरकारी बैंकों ने अपने वित्तीय स्वास्थ्य को सुधारने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
एनपीए और उसकी महत्ता
एनपीए (Non-Performing Assets) वह संपत्तियाँ होती हैं जिनका भुगतान समय पर नहीं किया जाता। यह बैंकों की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है और उनकी कार्यक्षमता को कम करता है।
निष्कर्ष
बैंकिंग क्षेत्र में पिछले दशक में हुए ऋण माफी के आंकड़े चिंताजनक हैं। हालांकि सरकारी बैंकों ने लाभ अर्जित किया है, फिर भी उन्हें डिफॉल्टर्स से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियों की आवश्यकता है।
इस लेख में हमने विभिन्न बैंकों द्वारा माफ किए गए ऋण का विश्लेषण किया और यह समझने की कोशिश की कि इन आंकड़ों का अर्थ क्या हो सकता है।यह स्थिति न केवल बैंकों के लिए बल्कि पूरे आर्थिक तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
आगे चलकर यह देखना होगा कि सरकार और बैंक इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाते हैं और क्या वे इस दिशा में सफल होते हैं या नहीं।