भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पूरे भारत में बैंकों में निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश उन खाताधारकों के हितों की रक्षा करने और बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से हैं जिनके खाते निष्क्रिय हो गए हैं या जिनमें बिना दावा की गई जमा राशि है। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वे निष्क्रिय खातों और लावारिस जमा वाले खातों के ग्राहकों, उनके नामांकित व्यक्तियों या कानूनी उत्तराधिकारियों का पता लगाएं और या तो खाते को फिर से सक्रिय करें या दावे का निपटान करें।
ये नए नियम 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे। आरबीआई ने बैंकों से यह भी कहा है कि वे समय-समय पर ऐसे खातों की समीक्षा करते रहें, क्योंकि इन खातों में धोखाधड़ी का खतरा होता है। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य खाताधारकों के हितों की रक्षा करना और बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा बढ़ाना है। आरबीआई ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने का निर्देश दिया है कि निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं का उचित प्रबंधन किया जाए।
आरबीआई के इन नए नियमों से ग्राहकों को कई तरह से फायदा होगा। इन नियमों के तहत, बैंकों को निष्क्रिय बचत खातों पर हमेशा ब्याज देना होगा, निष्क्रिय बैंक खातों पर न्यूनतम बैलेंस पेनाल्टी नहीं लगेगी, सरकारी स्कीम वाले खातों में जीरो बैलेंस है तो भी उन्हें निष्क्रिय नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही, आरबीआई ने बैंकों को निष्क्रिय खातों के मालिकों को खोजने के लिए ई-मेल और एसएमएस भेजने, केवाईसी को आसान बनाने, खाता दोबारा चालू कराने पर कोई चार्ज नहीं लेने और ग्राहकों को अलर्ट भेजने के भी निर्देश दिए हैं। इन नियमों से निष्क्रिय खातों में जमा लावारिस रकम को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी।
निष्क्रिय खाते और लावारिस जमा (Inactive Accounts and Unclaimed Deposits): आरबीआई के नए दिशानिर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निष्क्रिय खातों (Inoperative accounts) और लावारिस जमा (unclaimed deposit) को लेकर बैंकों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि बैंकों में पड़े निष्क्रिय खातों और लावारिस जमा का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए। ये दिशानिर्देश 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी हो गए हैं।
निष्क्रिय खाते (Inoperative Accounts) क्या होते हैं?
एक बचत या चालू खाता (saving or current account) जिसे दो साल से अधिक समय तक इस्तेमाल नहीं किया गया है, उसे निष्क्रिय खाता माना जाता है। इसका मतलब है कि खाते में दो साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ है, जिसे ग्राहक ने शुरू किया हो।
लावारिस जमा (Unclaimed Deposits) क्या होती हैं?
बचत या चालू खातों में पड़ी वह राशि जिसे 10 वर्षों से संचालित नहीं किया गया है, या सावधि जमा (term deposits) जिसकी परिपक्वता (maturity) की तारीख से 10 वर्षों के भीतर दावा नहीं किया गया है, उसे ‘लावारिस जमा’ माना जाता है।
आरबीआई के नए दिशानिर्देशों की मुख्य बातें (Key Highlights of RBI’s New Guidelines)
आरबीआई ने बैंकों को निष्क्रिय खातों और लावारिस जमा से संबंधित निम्नलिखित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं:
- वार्षिक समीक्षा (Annual Review): बैंकों को उन खातों की कम से कम वार्षिक समीक्षा करनी होगी जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई ग्राहक-प्रेरित लेनदेन नहीं हुआ है।
- सूचित करना (Notification): बैंकों को खाताधारकों को पत्र, ईमेल या एसएमएस के माध्यम से सूचित करना होगा कि उनके खाते में पिछले एक वर्ष से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। अलर्ट संदेश में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि यदि अगले एक वर्ष में कोई लेनदेन नहीं किया जाता है तो खाता ‘निष्क्रिय’ हो जाएगा, और खाताधारक को ऐसे मामले में खाते को फिर से सक्रिय करने के लिए नए केवाईसी दस्तावेज जमा करने होंगे।
- केवाईसी (KYC): निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए, ग्राहकों को केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज जमा करने होंगे। यह प्रक्रिया सभी शाखाओं में लागू होगी, जिसमें गैर-घरेलू शाखाएं भी शामिल हैं।
- ब्याज और शुल्क (Interest and Charges): निष्क्रिय खातों पर कोई दंड शुल्क नहीं लगाया जाएगा, और बैंकों को ऐसे खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए कोई शुल्क नहीं लेना चाहिए। बचत खातों पर ब्याज नियमित रूप से जमा होता रहेगा, चाहे खाता सक्रिय हो या न हो।
- लावारिस जमा का प्रदर्शन (Display of Unclaimed Deposits): बैंकों को अपनी वेबसाइटों पर लावारिस जमाओं का विवरण प्रदर्शित करना होगा, जिसमें खाताधारकों के नाम और पते (पिन कोड को छोड़कर) शामिल हैं। एक खोज सुविधा आम जनता को लावारिस जमा की जांच करने की अनुमति देगी, जिससे लावारिस धन की पहचान और वसूली में मदद मिलेगी।
- धोखाधड़ी की रोकथाम (Fraud Prevention): धोखाधड़ी को रोकने के लिए, बैंक नियमित रूप से निष्क्रिय खातों का ऑडिट करेंगे। पुन: सक्रिय खातों में किसी भी लेनदेन की कम से कम छह महीने तक निगरानी की जाएगी। बैंकों को ग्राहक डेटा की सुरक्षा और अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए कड़े उपाय करने की भी आवश्यकता है।
- सरकारी और छात्रवृत्ति खाते (Government and Scholarship Accounts): सरकारी योजनाओं और छात्रों (शून्य शेष के साथ) के लिए खोले गए खातों को मुख्य बैंकिंग समाधान में अलग किया जाना चाहिए।
निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं से संबंधित आरबीआई के दिशानिर्देशों का अवलोकन
पहलू | विवरण |
---|---|
निष्क्रिय खाता | एक बचत या चालू खाता जिसमें दो साल से अधिक समय से कोई ग्राहक-प्रेरित लेनदेन नहीं हुआ है। |
लावारिस जमा | बचत या चालू खातों में पड़ी वह राशि जिसे 10 वर्षों से संचालित नहीं किया गया है, या सावधि जमा जिसकी परिपक्वता की तारीख से 10 वर्षों के भीतर दावा नहीं किया गया है। |
वार्षिक समीक्षा | बैंकों को उन खातों की कम से कम वार्षिक समीक्षा करनी होगी जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई ग्राहक-प्रेरित लेनदेन नहीं हुआ है। |
सूचित करना | बैंकों को खाताधारकों को पत्र, ईमेल या एसएमएस के माध्यम से सूचित करना होगा कि उनके खाते में पिछले एक वर्ष से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। |
केवाईसी | निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए, ग्राहकों को केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज जमा करने होंगे। |
ब्याज और शुल्क | निष्क्रिय खातों पर कोई दंड शुल्क नहीं लगाया जाएगा, और बैंकों को ऐसे खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए कोई शुल्क नहीं लेना चाहिए। |
लावारिस जमा का प्रदर्शन | बैंकों को अपनी वेबसाइटों पर लावारिस जमाओं का विवरण प्रदर्शित करना होगा, जिसमें खाताधारकों के नाम और पते (पिन कोड को छोड़कर) शामिल हैं। |
सरकारी और छात्रवृत्ति खाते | सरकारी योजनाओं और छात्रों (शून्य शेष के साथ) के लिए खोले गए खातों को मुख्य बैंकिंग समाधान में अलग किया जाना चाहिए। |
धोखाधड़ी की रोकथाम और सुरक्षा उपाय | धोखाधड़ी को रोकने के लिए, बैंक नियमित रूप से निष्क्रिय खातों का ऑडिट करेंगे। पुन: सक्रिय खातों में किसी भी लेनदेन की कम से कम छह महीने तक निगरानी की जाएगी। बैंकों को ग्राहक डेटा की सुरक्षा और अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए कड़े उपाय करने की भी आवश्यकता है। |
आरबीआई के निर्देशों का बैंकों पर असर (Impact of RBI Directives on Banks)
आरबीआई के इन निर्देशों का बैंकों पर कई तरह से असर पड़ेगा।
- बैंकों को निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं का प्रबंधन करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।
- बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं की पहचान करने और उनका प्रबंधन करने के लिए उचित प्रक्रियाएं हैं।
- बैंकों को अपने ग्राहकों को निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं के बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी।
- बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं से संबंधित आरबीआई के सभी नियमों और विनियमों का पालन करते हैं।
खाताधारकों के लिए आरबीआई के दिशानिर्देशों का महत्व (Importance of RBI Guidelines for Account Holders)
आरबीआई के ये दिशानिर्देश खाताधारकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन दिशानिर्देशों से खाताधारकों को निम्नलिखित लाभ होंगे:
- खाताधारकों को उनके निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं के बारे में जानकारी मिलेगी।
- खाताधारकों को उनके निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय करने और लावारिस जमाओं का दावा करने में मदद मिलेगी।
- खाताधारकों के हितों की रक्षा होगी।
- बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा बढ़ेगी।
निष्क्रिय खातों और लावारिस जमा से बचने के लिए सुझाव (Tips to Avoid Inactive Accounts and Unclaimed Deposits)
यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको निष्क्रिय खातों और लावारिस जमा से बचने में मदद कर सकते हैं:
- अपने खाते को नियमित रूप से उपयोग करें।
- अपने खाते में नियमित रूप से लेनदेन करें।
- अपने खाते के विवरण को अपडेट रखें।
- यदि आप लंबे समय तक अपने खाते का उपयोग नहीं करने जा रहे हैं, तो अपने बैंक को सूचित करें।
- अपनी सावधि जमा की परिपक्वता तिथि को ट्रैक करें।
- अपनी सावधि जमा की परिपक्वता तिथि से पहले या बाद में अपना दावा करें।
inactive account को फिर से एक्टिवेट (reactivate) कैसे करें
यदि आपका बैंक खाता निष्क्रिय हो गया है, तो आप इसे फिर से सक्रिय करने के लिए इन चरणों का पालन कर सकते हैं:
- अपने बैंक की शाखा में जाएं।
- एक निष्क्रिय खाता सक्रियण फॉर्म (Inactive Account Activation Form) भरें।
- अपना पहचान प्रमाण और पता प्रमाण जमा करें।
- बैंक आपके खाते को फिर से सक्रिय कर देगा।
खाता सक्रियण फॉर्म (Account Activation Form) भरते समय, आपको निम्नलिखित जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होगी:
- आपका नाम
- आपका खाता नंबर
- आपका पता
- आपका पहचान प्रमाण
- आपका पता प्रमाण
आपको फॉर्म के साथ अपने पहचान प्रमाण और पते के प्रमाण की प्रतियां भी जमा करनी होंगी। बैंक आपके द्वारा प्रदान की गई जानकारी को सत्यापित करेगा और यदि सब कुछ ठीक है, तो आपके खाते को फिर से सक्रिय कर देगा।
खाता फिर से सक्रिय होने के बाद, आप अपने खाते का उपयोग सामान्य रूप से कर सकते हैं।
KYC update कराने का तरीका (केवाईसी अपडेट कराने का तरीका)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, सभी बैंक ग्राहकों को समय-समय पर अपना KYC (नो योर कस्टमर) अपडेट कराना अनिवार्य है। KYC अपडेट कराने से बैंक को अपने ग्राहकों के बारे में नवीनतम जानकारी मिलती है, जिससे धोखाधड़ी और अन्य वित्तीय अपराधों को रोकने में मदद मिलती है।
आप निम्नलिखित तरीकों से अपना KYC अपडेट करा सकते हैं:
- बैंक शाखा में जाकर (By visiting the bank branch): आप अपने बैंक की शाखा में जाकर अपना KYC अपडेट करा सकते हैं। आपको एक KYC अपडेट फॉर्म भरना होगा और अपना पहचान प्रमाण और पता प्रमाण जमा करना होगा।
- ऑनलाइन (Online): कई बैंक अपने ग्राहकों को ऑनलाइन KYC अपडेट कराने की सुविधा प्रदान करते हैं। आप अपने बैंक की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर जाकर अपना KYC अपडेट करा सकते हैं।
- वीडियो KYC (Video KYC): कुछ बैंक वीडियो KYC की सुविधा भी प्रदान करते हैं। वीडियो KYC में, आपको बैंक के प्रतिनिधि के साथ वीडियो कॉल पर अपनी पहचान सत्यापित करनी होती है।
KYC अपडेट कराने के लिए, आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
- पहचान प्रमाण (Identity Proof): आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस
- पता प्रमाण (Address Proof): आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, बिजली बिल, पानी बिल, टेलीफोन बिल
KYC अपडेट कराने के बाद, आपको बैंक से एक पुष्टिकरण संदेश प्राप्त होगा।
RBI के दिशानिर्देशों से ग्राहकों को होने वाले फायदे (Benefits to Customers from RBI Guidelines)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों से ग्राहकों को कई फायदे होंगे। इनमें से कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:
- सुरक्षा (Security): RBI के दिशानिर्देशों से ग्राहकों के खातों और जमाओं की सुरक्षा बढ़ेगी।
- पारदर्शिता (Transparency): RBI के दिशानिर्देशों से बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- सुविधा (Convenience): RBI के दिशानिर्देशों से ग्राहकों को अपने खातों और जमाओं का प्रबंधन करने में सुविधा होगी।
- जागरूकता (Awareness): RBI के दिशानिर्देशों से ग्राहकों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं से संबंधित नए दिशानिर्देश ग्राहकों के हितों की रक्षा करने और बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन दिशानिर्देशों का पालन करके, बैंक यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाओं का उचित प्रबंधन किया जाए और ग्राहकों को उनके धन का दावा करने में मदद मिले।
Disclaimer: इस योजना के बारे में जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्र की गई है और यह सटीक होने की पूरी कोशिश करती है। हालाँकि, मैं इस जानकारी की सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं दे सकता। यह योजना वास्तविक है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू की गई है।