बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) हर साल 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं का आयोजन करता है। छात्रों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए, बोर्ड ने ग्रेस मार्क्स का प्रावधान रखा है। यह प्रावधान उन छात्रों के लिए किया गया है जो थोड़े अंकों से पास होने से चूक जाते हैं। ग्रेस मार्क्स का उद्देश्य छात्रों को असफलता से बचाना और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित करना है। इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि बिहार बोर्ड ग्रेस मार्क्स का नियम क्या है, यह किसे मिलता है, और कितने अंक दिए जाते हैं।
बिहार बोर्ड ग्रेस मार्क्स क्या है?
ग्रेस मार्क्स का मतलब है कि अगर कोई छात्र परीक्षा में पासिंग मार्क्स से कुछ अंक कम लाता है, तो बोर्ड उसे अतिरिक्त अंक देकर पास कर सकता है। यह सुविधा मुख्यतः उन छात्रों के लिए होती है जो एक या दो विषयों में पास होने के लिए थोड़े अंकों से चूक जाते हैं।
ग्रेस मार्क्स का मुख्य उद्देश्य:
- छात्रों को फेल होने से बचाना।
- उनकी शैक्षणिक यात्रा को बाधित होने से रोकना।
- मानसिक तनाव को कम करना।
ग्रेस मार्क्स का नियम
बिहार बोर्ड द्वारा ग्रेस मार्क्स देने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। ये नियम इस प्रकार हैं:
- एक विषय में फेल होने पर: यदि कोई छात्र एक विषय में पासिंग मार्क्स से 8% तक कम लाता है, तो उसे ग्रेस मार्क्स देकर पास किया जा सकता है।
- दो विषयों में फेल होने पर: अगर कोई छात्र दो विषयों में पासिंग मार्क्स से 4% तक कम लाता है, तो उसे ग्रेस मार्क्स दिया जा सकता है।
- कुल प्रतिशत: ग्रेस मार्क्स देने के बाद भी छात्र का कुल प्रतिशत न्यूनतम पासिंग क्राइटेरिया को पूरा करना चाहिए।
बिहार बोर्ड ग्रेस मार्क्स 2025 का ओवरव्यू
विशेषता | विवरण |
---|---|
बोर्ड का नाम | बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) |
परीक्षा स्तर | 10वीं और 12वीं |
ग्रेस मार्क्स का नियम | एक विषय में 8% तक; दो विषयों में 4% तक |
पासिंग क्राइटेरिया | थ्योरी: 30%, प्रैक्टिकल: 40% |
लाभार्थी छात्र | वे छात्र जो पासिंग मार्क्स से चूक गए |
लक्ष्य | छात्रों को असफलता से बचाना |
ग्रेस मार्क्स किसे मिलता है?
बिहार बोर्ड ग्रेस मार्क्स केवल उन्हीं छात्रों को दिया जाता है जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं:
- छात्र ने परीक्षा में नियमित रूप से भाग लिया हो।
- उसने सभी विषयों की परीक्षा दी हो।
- वह एक या दो विषयों में पासिंग क्राइटेरिया से थोड़ा पीछे हो।
ग्रेस मार्क्स कितना मिलता है?
बिहार बोर्ड द्वारा दिए जाने वाले ग्रेस मार्क्स की मात्रा तयशुदा होती है। यह इस प्रकार है:
- यदि कोई छात्र एक विषय में फेल होता है, तो उसे अधिकतम 8% तक ग्रेस मार्क्स दिया जा सकता है।
- यदि कोई छात्र दो विषयों में फेल होता है, तो प्रत्येक विषय में अधिकतम 4% तक ग्रेस मार्क्स दिया जा सकता है।
ग्रेस मार्क्स का महत्व
ग्रेस मार्क्स छात्रों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित होता है:
- यह छात्रों को मानसिक तनाव और असफलता की भावना से बचाता है।
- छात्रों को अगली कक्षा या उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका देता है।
- यह शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और सहानुभूतिपूर्ण बनाता है।
कैसे पता करें कि आपको ग्रेस मार्क्स मिला या नहीं?
- जब परिणाम घोषित होता है, तो अपनी अंकतालिका ध्यानपूर्वक जांचें।
- यदि आपकी अंकतालिका पर “पास” लिखा हो लेकिन आपके अंक कुल मिलाकर पासिंग क्राइटेरिया से कम हों, तो समझें कि आपको ग्रेस मार्क्स मिला होगा।
महत्वपूर्ण बातें जो आपको जाननी चाहिए
- ग्रेस मार्क्स केवल उन्हीं छात्रों को दिया जाता है जो थोड़े अंकों की कमी के कारण फेल हो जाते हैं।
- अगर कोई छात्र जानबूझकर कम मेहनत करता है, तो उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा।
- यह सुविधा केवल नियमित परीक्षाओं के लिए लागू होती है; कंपार्टमेंटल परीक्षाओं में नहीं।
निष्कर्ष
बिहार बोर्ड द्वारा लागू किया गया ग्रेस मार्क्स सिस्टम छात्रों के लिए एक राहत भरा कदम साबित हुआ है। यह न केवल उन्हें असफलता से बचाता है बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। हालांकि, छात्रों को इस पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। बिहार बोर्ड द्वारा जारी आधिकारिक नोटिस और दिशा-निर्देश ही अंतिम रूप से मान्य होंगे।