Bihar Land Survey: बिहार भूमि विवाद में नया मोड़, अगर नहीं किया ये काम, तो स्वघोषणा पत्र पर अटक सकती है ज़मीन

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भूमि सर्वेक्षण बिहार में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य भूमि के स्वामित्व और उपयोग की सही जानकारी एकत्र करना है। यह प्रक्रिया न केवल जमीन मालिकों के लिए आवश्यक है, बल्कि यह सरकारी रिकॉर्ड को भी अपडेट करने में मदद करती है।

बिहार में भूमि सर्वेक्षण के दौरान, रैयतों (भूमि मालिकों) को स्वघोषणा पत्र भरने की आवश्यकता होती है, जिसमें उनकी जमीन से संबंधित सभी जानकारी शामिल होती है। इस प्रक्रिया में कई प्रकार के फॉर्म और दस्तावेज़ शामिल होते हैं, जिनमें प्रपत्र 2 और प्रपत्र 3 प्रमुख हैं।

हाल ही में, बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, रैयतों को स्वघोषणा पत्र भरकर अपने अंचल कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया न केवल जमीन की वैधता को प्रमाणित करती है, बल्कि इससे भूमि विवादों को भी सुलझाने में मदद मिलती है।हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि दस्तावेज़ों की कमी और लोगों का सही जानकारी न होना।

Bihar Land Survey 2025

बिंदुविवरण
प्रक्रिया का नामबिहार भूमि सर्वेक्षण
मुख्य दस्तावेज़स्वघोषणा पत्र (प्रपत्र 2 और 3)
समय सीमामार्च 2025 तक स्वघोषणा जमा करने की समयसीमा
रैयतों की संख्यालगभग 78 लाख रैयतों ने स्वघोषणा जमा की
मुख्य विभागराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
सर्वेक्षण क्षेत्रग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में

भूमि सर्वेक्षण के दौरान प्रपत्र 2 और प्रपत्र 3

प्रपत्र 2 एक स्वघोषणा पत्र होता है जिसमें रैयत को अपनी जमीन से संबंधित सभी जानकारी भरनी होती है। इसमें रैयत का नाम, पता, खाता संख्या, खेसरा नंबर, रकबा आदि शामिल होते हैं। वहीं, प्रपत्र 3 वंशावली से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।

प्रपत्र 2 भरने की प्रक्रिया:

  1. रैयत का नाम और पता भरें।
  2. खाता संख्या और खेसरा नंबर दर्ज करें।
  3. जमीन का प्रकार बताएं।
  4. यदि जमाबंदी नहीं है तो उस कॉलम को खाली छोड़ दें।
  5. जमीन पर दावे का अधिकार कैसे मिला (दान, उत्तराधिकार, खरीदी) यह बताएं।

प्रपत्र 3 भरने की प्रक्रिया:

  1. वंशावली की जानकारी दें।
  2. परिवार के सदस्यों के नाम शामिल करें।
  3. यदि कोई न्यायालय का आदेश हो तो उसकी प्रति संलग्न करें।

भूमि सर्वेक्षण की चुनौतियाँ

  • दस्तावेज़ों की कमी: कई रैयतों के पास आवश्यक दस्तावेज़ नहीं होते हैं।
  • जानकारी का अभाव: लोगों को सही तरीके से फॉर्म भरने की जानकारी नहीं होती।
  • ऑनलाइन प्रक्रिया में बाधाएँ: कुछ समय से ऑनलाइन दस्तावेज़ जमा करने की प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी।

वर्तमान स्थिति

बिहार सरकार ने मार्च 2025 तक स्वघोषणा जमा करने की समयसीमा निर्धारित की है। अब तक लगभग 78 लाख रैयतों ने अपनी स्वघोषणा जमा कर दी है। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि सभी रैयत अपने दस्तावेज़ समय पर जमा करें ताकि सर्वेक्षण कार्य सुचारू रूप से चल सके।

निष्कर्ष

बिहार में भूमि सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो न केवल रैयतों के लिए आवश्यक है बल्कि सरकारी रिकॉर्ड को भी अपडेट करती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में अनेक चुनौतियाँ भी हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। सही जानकारी और दस्तावेज़ों के बिना यह प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती।

अस्वीकृति: यह लेख बिहार भूमि सर्वेक्षण की वास्तविकता पर आधारित है। यह एक वास्तविक प्रक्रिया है जो सरकारी रिकॉर्ड को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक है।

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