यात्रियों को जानकर लगेगा झटका-RTI से हुआ बड़ा खुलासा, रेलवे BLANKETS की धुलाई केवल 30 दिनों में 1 बार होती है

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भारतीय रेलवे में यात्रा करते समय यात्रियों को कई सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जिनमें बेड रोल, चादरें, कंबल और तकिए शामिल हैं। ये सुविधाएं विशेष रूप से एसी कोचों में उपलब्ध होती हैं, जहां यात्रियों को सफर के दौरान आरामदायक अनुभव प्रदान किया जाता है।

हाल ही में एक सूचना के अधिकार (RTI) के तहत एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें बताया गया है कि रेलवे के कंबल केवल महीने में एक बार धुलते हैं। यह जानकारी यात्रियों के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि सफाई की कमी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इस लेख में हम इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी, कंबलों की सफाई की प्रक्रिया और इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

इसके साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि यात्रियों को अपनी सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान कैसे रखना चाहिए।

रेलवे के कंबल और उनकी सफाई

भारतीय रेलवे द्वारा यात्रा के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल और अन्य लिनन की सफाई की प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए यह स्पष्ट होता है कि रेलवे ने इस दिशा में कुछ नियम बनाए हैं। RTI के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि एसी कोचों में दिए जाने वाले बेडशीट और तकिए के कवर हर यात्रा के बाद धोए जाते हैं, लेकिन कंबल केवल महीने में एक बार या उससे भी कम बार साफ किए जाते हैं।

कंबल की सफाई की प्रक्रिया

रेलवे द्वारा कंबलों की सफाई के लिए विभिन्न लाउंड्री स्टेशनों का उपयोग किया जाता है। जब कोई कंबल गंदा या गीला हो जाता है, तो उसे तुरंत धोने की व्यवस्था होती है। हालांकि, नियमित रूप से केवल महीने में एक बार ही इनकी सफाई होती है। यह स्थिति यात्रियों के लिए चिंताजनक हो सकती है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो लंबी यात्रा करते हैं।

रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं

भारतीय रेलवे यात्रियों को बेड रोल प्रदान करता है, जिसमें निम्नलिखित सामग्री शामिल होती है:

  • दो चादरें
  • एक कंबल
  • एक तकिया
  • एक छोटा तौलिया

इन सामग्रियों का उपयोग यात्रियों को यात्रा के दौरान आराम प्रदान करने के लिए किया जाता है। हालांकि, सफाई की कमी के कारण कई यात्री इन सामग्रियों का उपयोग करने से हिचकिचाते हैं।

कंबल और चादरों की धुलाई का विवरण

यहाँ एक सारणी प्रस्तुत की गई है जो रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और उनकी धुलाई की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण देती है:

सुविधाधुलाई की आवृत्ति
बेडशीटहर यात्रा के बाद
तकिया कवरहर यात्रा के बाद
कंबलमहीने में 1 बार (या उससे कम)
तौलियाहर यात्रा के बाद
विशेष अनुरोध परगंदे या गीले होने पर तुरंत

यात्रियों की चिंताएं

यात्रियों ने अक्सर रेलवे की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। कई यात्रियों ने शिकायत की है कि उन्हें जो कंबल और चादरें मिलती हैं, वे अक्सर साफ नहीं होतीं। यह समस्या विशेष रूप से तब बढ़ जाती है जब लोग लंबी दूरी की यात्रा करते हैं और उन्हें स्वच्छता का ध्यान रखना होता है।

व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व

रेलवे ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। यदि कोई यात्री अपनी स्वच्छता को लेकर चिंतित है, तो वह अपने साथ अपना खुद का चादर-कंबल ले जा सकता है। इससे न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि वे अधिक आरामदायक महसूस करेंगे।

रेलवे द्वारा उठाए गए कदम

इस मुद्दे पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिलने के बाद रेलवे ने कुछ कदम उठाने का निर्णय लिया है। उत्तर रेलवे ने घोषणा की कि अब से कंबलों की सफाई महीने में दो बार होगी। यह निर्णय यात्रियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है|

नई नीतियाँ

रेलवे ने अपनी सफाई नीतियों को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री: सभी जोनल रेलवे में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री स्थापित की जा रही है ताकि सफाई प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
  • सीसीटीवी निगरानी: सफाई प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।
  • उन्नत मानक: लिनन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नए सेट भारतीय मानक ब्यूरो के उन्नत मानकों के अनुसार खरीदे जा रहे हैं।

निष्कर्ष

भारतीय रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और उनकी सफाई प्रक्रिया पर जो खुलासा हुआ है, वह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। हालांकि, रेलवे ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया है और सुधारात्मक कदम उठाने का वादा किया है। यात्रियों को अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए और यदि संभव हो तो अपने साथ साफ-सुथरे चादर-कंबल ले जाना चाहिए।

Disclaimer:यह लेख भारतीय रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और उनकी सफाई प्रक्रिया पर आधारित जानकारी प्रस्तुत करता है। हालाँकि, वास्तविकता यह है कि रेलवे ने सुधारात्मक कदम उठाने का वादा किया है, लेकिन क्या ये कदम वास्तव में प्रभावी होंगे या नहीं, यह भविष्य में देखने वाली बात होगी।

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