सहारनपुर के प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस और स्पेशल ड्रेस को लेकर अभिभावकों की शिकायतें लंबे समय से जारी थीं। हर साल फीस बढ़ाने, एक ही दुकान से किताबें खरीदने का दबाव और महंगी यूनिफॉर्म की समस्या से परेशान अभिभावकों ने अब जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटाया।
डीएम मनीष बंसल ने इस मामले में सख्त कार्रवाई का ऐलान करते हुए नियम तोड़ने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी है।
शिकायतों के मुताबिक, कुछ स्कूल बच्चों की किताबों की लिस्ट ऐसी बनाते हैं जो सिर्फ एक दुकान पर मिलती है। इसी तरह, यूनिफॉर्म पर स्कूल का नाम प्रिंट कराकर उसे “स्पेशल” बताकर महंगे दामों पर बेचा जाता है।
डीएम ने CBSE और ICSE स्कूलों के प्रबंधकों के साथ बैठक कर उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018 के तहत कार्रवाई का रोडमैप तैयार किया है। अब नियम तोड़ने वाले स्कूलों पर 1 लाख से 5 लाख तक जुर्माना और तीसरी बार में मान्यता रद्द होगी।
DM Action on Schools
पहलू | विवरण |
मुख्य समस्या | स्कूलों द्वारा मनमानी फीस, किताबें, और यूनिफॉर्म पर दबाव |
प्रभावित समूह | अभिभावक और छात्र (मध्यम एवं निम्न वर्ग) |
कानूनी प्रावधान | उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018 |
जुर्माना | पहली बार: ₹1 लाख, दूसरी बार: ₹5 लाख, तीसरी बार: मान्यता रद्द |
समाधान योजना | स्कूलों को फीस स्ट्रक्चर पारदर्शी तरीके से प्रकाशित करना अनिवार्य |
संबंधित अधिकारी | जिलाधिकारी मनीष बंसल |
परिणाम | अभिभावकों को राहत और स्कूलों में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद |
अगला कदम | नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द |
मुख्य समस्याएं और प्रशासन की प्रतिक्रिया
- फीस में अनावश्यक बढ़ोतरी: बिना कारण हर साल फीस बढ़ाना।
- किताबों का एकाधिकार: सिर्फ एक दुकान से किताबें खरीदने का दबाव।
- स्पेशल यूनिफॉर्म: स्कूल के नाम वाली यूनिफॉर्म को महंगे दामों पर बेचना।
- 11 शिकायतें दर्ज: डीएम को अब तक 11 गंभीर शिकायतें मिल चुकी हैं।
डीएम मनीष बंसल द्वारा उठाए गए कदम
1. स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठक
डीएम ने सभी CBSE और ICSE स्कूलों के प्रधानाचार्यों को बुलाकर अभिभावकों की शिकायतों से अवगत कराया। साथ ही, फीस स्ट्रक्चर सार्वजनिक करने और किताबों/यूनिफॉर्म पर एकाधिकार खत्म करने के निर्देश दिए।
2. नोटिस जारी करना
जिन स्कूलों ने अपनी फीस संरचना प्रशासन को नहीं बताई, उन्हें 7 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है। नहीं मानने पर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
3. जुर्माना और मान्यता रद्दीकरण
- पहली बार उल्लंघन: ₹1 लाख का जुर्माना।
- दूसरी बार: ₹5 लाख का जुर्माना।
- तीसरी बार: स्कूल की मान्यता रद्द।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया और उम्मीदें
सहारनपुर के अभिभावकों ने डीएम की इस पहल को “साहसिक कदम” बताया है। एक अभिभावक ने बताया, “स्कूल हर साल नई किताबें लाने को कहता है, जो सिर्फ एक दुकान पर मिलती हैं। यूनिफॉर्म पर ₹2000 तक खर्च होते हैं।”
अब प्रशासन के हस्तक्षेप से उम्मीदें:
- फीस की पारदर्शिता बढ़ेगी।
- किताबें और यूनिफॉर्म कहीं से भी खरीद सकेंगे।
- आर्थिक शोषण पर रोक लगेगी।
कानूनी पक्ष: उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018
- धारा 12(3): स्कूल किसी भी वस्तु के लिए एक दुकान थोप नहीं सकते।
- धारा 15: फीस वृद्धि के लिए अभिभावकों की सहमति अनिवार्य।
- धारा 18: नियम तोड़ने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।
स्कूलों की प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ
कुछ स्कूल प्रबंधकों ने इस कार्रवाई को “अतिशयोक्ति” बताया, जबकि अन्य ने सहयोग का भरोसा दिलाया। प्रशासन का मानना है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाएगा।
निष्कर्ष
डीएम मनीष बंसल की यह पहल अभिभावकों के लिए राहत और शिक्षा के अधिकार को मजबूत करने वाला कदम है। अब देखना है कि स्कूल नियमों का पालन करते हैं या प्रशासन को मान्यता रद्द करनी पड़ती है।
Disclaimer: यह जानकारी सहारनपुर प्रशासन के आधिकारिक बयानों और स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। डीएम मनीष बंसल द्वारा की गई कार्रवाई पूरी तरह वास्तविक है, जिसकी पुष्टि कई समाचार स्रोतों द्वारा की गई है