LPG Price Hike 2025: ₹50 का बड़ा झटका, अब आपका बजट होगा कैसे संभले, जानिए आज का New Price

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एलपीजी गैस (LPG Gas) की कीमतों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी ने आम जनता के बजट पर असर डाला है। रसोई गैस, जो हर घर की जरूरत है, अब महंगी हो गई है। सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में ₹50 प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस लेख में हम एलपीजी गैस के नए रेट, इसके कारण, प्रभाव और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल भाषा में विस्तार से समझेंगे।

एलपीजी गैस की कीमतों में यह बढ़ोतरी उन लोगों के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है जो प्रधामंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत गैस सिलेंडर लेते हैं। साथ ही, सामान्य उपभोक्ताओं के लिए भी यह बढ़ोतरी महंगी साबित हो रही है। इस लेख में हम आपको एलपीजी गैस के नए दाम, विभिन्न शहरों में कीमतों का अंतर, और सरकार की इस नीति के पीछे के कारणों की पूरी जानकारी देंगे।

LPG Price Hike 2025

सरकार ने घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में ₹50 प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी सभी उपभोक्ता वर्गों पर लागू होगी, चाहे वे PMUY लाभार्थी हों या सामान्य उपभोक्ता। नई कीमतें 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गई हैं। इस कदम का मकसद तेल कंपनियों के घाटे को कम करना और वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को संतुलित करना है।

सारांश तालिका में

उपभोक्ता वर्गसिलेंडर का वजनपुराना रेट (₹)नया रेट (₹)बढ़ोतरी (₹)
PMUY लाभार्थी (सब्सिडी वाला)14.2 किग्रा50055050
सामान्य घरेलू उपभोक्ता14.2 किग्रा80385350
19 किग्रा कमर्शियल सिलेंडर19 किग्रा1740-18021802+6262
दिल्ली (कमर्शियल)19 किग्रा1740180262
हैदराबाद (कमर्शियल)19 किग्राउच्चतमउच्चतम62
अन्य बड़े शहर14.2 किग्रा803-85385350

दाम बढ़ने के कारण

  • वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी: तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने से एलपीजी की लागत भी बढ़ती है।
  • तेल कंपनियों के घाटे की भरपाई: पिछले वर्षों में तेल कंपनियों को सब्सिडी के कारण भारी नुकसान हुआ है, जिसका कुछ हिस्सा इस बढ़ोतरी से पूरा किया जा रहा है।
  • सरकारी नीतियां: सरकार हर 2-3 सप्ताह में एलपीजी की कीमतों की समीक्षा करती है ताकि बाजार की स्थिति के अनुसार उचित मूल्य तय किया जा सके।
  • एक्साइज ड्यूटी में बदलाव: पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है, जिससे राजस्व बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

बढ़ी कीमतों का प्रभाव

  • घरेलू बजट पर असर: लगभग 90% भारतीय परिवार रसोई गैस के लिए एलपीजी का उपयोग करते हैं। ₹50 की बढ़ोतरी से हर सिलेंडर पर खर्च बढ़ेगा, जिससे सालाना खर्च में ₹600 तक का इजाफा हो सकता है।
  • गरीब परिवारों के लिए चुनौती: PMUY योजना के तहत लाभार्थी परिवारों के लिए भी कीमत बढ़ी है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है।
  • महंगाई में वृद्धि: गैस की कीमत बढ़ने से खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि रसोई गैस का उपयोग लगभग हर खाद्य वस्तु के निर्माण में होता है।
  • सरकार की सब्सिडी नीति: सरकार अभी भी गरीबों के लिए सब्सिडी देती है, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण सब्सिडी का बोझ भी बढ़ रहा है।

हालिया बदलाव की समयरेखा

  • मार्च 2025 में 19 किग्रा के कमर्शियल सिलेंडर के दामों में ₹6 की बढ़ोतरी हुई थी।
  • अप्रैल 2025 में घरेलू सिलेंडर के दामों में ₹50 की बढ़ोतरी हुई।
  • दिसंबर 2024 में भी कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि हुई थी।
  • सरकार हर 2-3 सप्ताह में कीमतों की समीक्षा करती रहती है।

शहरों के अनुसार

शहर14.2 किग्रा घरेलू सिलेंडर (₹)19 किग्रा कमर्शियल सिलेंडर (₹)
दिल्ली8531802
हैदराबादलगभग 853सबसे महंगा
कोलकातालगभग 853लगभग 1800
मुंबईलगभग 853लगभग 1800
लखनऊलगभग 853लगभग 1800

बढ़ोतरी से बचाव के उपाय

  • उर्जा की बचत: खाना पकाने में गैस की कम खपत करने की कोशिश करें।
  • स्मार्ट कुकिंग गैजेट्स: ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का उपयोग करें।
  • साझा उपयोग: परिवार या पड़ोसियों के साथ गैस सिलेंडर साझा करने पर विचार करें।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ: PMUY जैसी योजनाओं का लाभ उठाएं।

असली तथ्य और मिथक

डिस्क्लेमर:

एलपीजी गैस की कीमतों में बढ़ोतरी सरकारी नीति और वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण होती है। यह बढ़ोतरी आम जनता के लिए एक आर्थिक चुनौती है, लेकिन यह पूरी तरह से सच है कि कीमतें बढ़ी हैं और यह सरकार के नियंत्रण में है।

कोई अफवाह या झूठी खबर नहीं है। सरकार समय-समय पर कीमतों की समीक्षा करती है और उपभोक्ताओं को सूचित करती है। इसलिए, एलपीजी गैस के दाम बढ़ने की खबर पूरी तरह वास्तविक है और इसका असर हर घर पर पड़ेगा।

इस प्रकार, एलपीजी गैस की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए रसोई गैस को महंगा कर दिया है। यह वृद्धि वैश्विक तेल बाजार की स्थितियों और घरेलू आर्थिक जरूरतों के चलते की गई है। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे इस बढ़ोतरी के मद्देनजर अपने घरेलू खर्चों को समायोजित करें और ऊर्जा की बचत के उपाय अपनाएं। सरकार भी इस बढ़ोतरी के प्रभाव को कम करने के लिए सब्सिडी और अन्य योजनाओं के माध्यम से मदद करती रहेगी।

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