गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका का भी आधार है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में, गंगा नदी प्रदूषण और अव्यवस्थित शहरीकरण के कारण अपनी प्राकृतिक सुंदरता और स्वच्छता खो चुकी है।
इस समस्या को हल करने के लिए भारत सरकार ने 2014 में “नमामि गंगे मिशन” की शुरुआत की। अब इसका उन्नत संस्करण “नमामि गंगे मिशन 2.0” शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी को पुनर्जीवित करना और इसे प्रदूषण मुक्त बनाना है।
इस लेख में हम नमामि गंगे मिशन 2.0 के उद्देश्यों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करेंगे। साथ ही, यह जानेंगे कि यह मिशन कैसे गंगा नदी और उसके आसपास के पर्यावरण को पुनर्जीवित करने में मदद कर रहा है।
Namami Gange Mission 2.0 in 2025
नमामि गंगे मिशन 2.0 भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी को स्वच्छ और संरक्षित करना है। यह मिशन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga – NMCG) के तहत संचालित होता है। इसकी मुख्य प्राथमिकताएं हैं:
- गंगा और उसकी सहायक नदियों का प्रदूषण रोकना।
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) बनाना।
- जैव विविधता संरक्षण।
- जन जागरूकता बढ़ाना।
संक्षिप्त विवरण
विशेषता | विवरण |
---|---|
शुरुआत का वर्ष | 2021 |
कार्यकाल | 2021-2030 (दो चरणों में) |
बजट आवंटन | ₹20,000 करोड़ (कुल परियोजना) |
प्रमुख उद्देश्य | प्रदूषण नियंत्रण, जैव विविधता संरक्षण |
प्रमुख गतिविधियाँ | सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, जन जागरूकता अभियान |
प्रमुख क्षेत्र | उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली |
कुल STPs की संख्या | 157 (2025 तक) |
कुल क्षमता | 3722 MLD (मिलियन लीटर प्रति दिन) |
मुख्य उद्देश्य
1. गंगा नदी का प्रदूषण नियंत्रण
गंगा नदी में घरेलू और औद्योगिक कचरे का प्रवाह रोकना इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य है। इसके लिए अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाए जा रहे हैं।
2. जैव विविधता संरक्षण
गंगा नदी में रहने वाले जीव-जंतुओं जैसे डॉल्फिन और घड़ियाल के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
3. जन भागीदारी
स्थानीय समुदायों को इस मिशन से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग करें।
4. पर्यावरणीय सुधार
गंगा के किनारों पर वृक्षारोपण और जलग्रहण क्षेत्रों का पुनर्वास किया जा रहा है।
प्रमुख उपलब्धियाँ
हाल ही में पूरे हुए प्रोजेक्ट्स
- फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश):
- क्षमता: 47.70 MLD
- लागत: ₹261 करोड़
- उद्देश्य: सीवेज को गंगा में जाने से रोकना।
- अयोध्या (उत्तर प्रदेश):
- क्षमता: 33 MLD
- उद्देश्य: जल गुणवत्ता सुधार।
- मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश):
- लागत: ₹129 करोड़
- कार्य: सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण।
- पटना (बिहार):
- लागत: ₹103 करोड़
- उद्देश्य: सीवेज नेटवर्क का विस्तार।
प्रमुख गतिविधियाँ
सीवेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
- अब तक कुल 157 STPs बनाए गए हैं।
- इनकी कुल क्षमता 3722 MLD तक बढ़ाई गई है।
जैव विविधता संरक्षण
- डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- वृक्षारोपण अभियान चलाए जा रहे हैं।
जन जागरूकता अभियान
- स्थानीय लोगों को शामिल करने के लिए “गंगा ग्राम” कार्यक्रम चलाया गया।
- स्कूलों और कॉलेजों में स्वच्छता अभियान शुरू किए गए।
भविष्य की योजनाएँ
- 2026 तक का लक्ष्य:
- सभी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करना।
- अधिक STPs स्थापित करना।
- 2030 तक का लक्ष्य:
- गंगा नदी को पूरी तरह से स्वच्छ और पुनर्जीवित करना।
- जल प्रवाह की निरंतरता बनाए रखना।
निष्कर्ष
नमामि गंगे मिशन 2.0 भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जो न केवल गंगा नदी बल्कि पूरे पर्यावरण को सुधारने में सहायक होगी। इस योजना की सफलता तभी संभव है जब सरकार, स्थानीय प्रशासन और आम जनता मिलकर काम करें।
डिस्क्लेमर
यह लेख “नमामि गंगे मिशन 2.0” पर आधारित जानकारी प्रदान करता है। यह सरकारी आंकड़ों और योजनाओं पर आधारित है। वास्तविक परिणाम समय और कार्यान्वयन पर निर्भर करते हैं।